कुछ आदत सी हो गयी सदमों की
अब आहट दे अपने क़दमों की
फिर से मुझको हैरानी दे दो |
सूनी है कोरें आँखों की
खुश्की अब इनमें चुभती है
सपने गर तुम दे न पो
आकर के कुछ पानी दे दो |
सच कहता हूँ तंग आ चुका
शोरो गुल की दुनिया से
आ जाओ तन्हा हो तुम भी
मुझको भी वीरानी दे दो |
लड़ते लड़ते थक जाता हूँ
अपने ही कुछ सायों से
मुश्किल बहुत हुई ज़िन्दगी
तुम पे मरने की आसानी दे दो |